life of an ascetic Heart of a poet
Life-changing poetry!
Muni KshamaSagar
Uncover the mysteries of Life
Celebrating Life
Nature Inspires
Finding Oneself
Journey within
बनता
चुप-चाप है,
टूटता
आवाज के साथ है |
ज़िन्दगी के
इस दौर में,
अब आवाज़ ही
आवाज़ है |
कभी ऐसा हो
की देने का मन हो
और लेने वाला
कोई करीब न हो!
कभी हम
कुछ कहना चाहें
और सुनने वाला कोई करीब न हो!
तब एहसास होता है
की देने और
सुनाने वाले से
लेने और सुनने वाला
ज्यादा कीमती है |
मुझे मौत में जीवन के -
फूल चुनना है
अभी मुरझाना,
टूटकर गिरना,
और अभी
खिल जाना है |
कल यहाँ-
आया था कौन ?
कितना रहा
इससे क्या?
मुझे आज अभी
लौट जाना है
मेरे जाने के बाद
लोग आएं
अर्थी संभालें
काँधे बदलें
इससे पहले
मुझे खुद संभलना है |
मौत आये
और जाने कब आये
The purpose of death is
living a life full of purpose.
मैं देखता हूँ
चिड़िया
रोज़ आती है
और मैं जनता हूँ
वही चिड़िया
रोज़ नहीं आती
पर यह दूसरी है
मैं ऐसा कैसे कहूं !
अच्छा हुआ
मैंने कोई नाम नहीं दिया
उसे चिड़िया ही
रहने दिया |
जिसे पाकर लगे
की अपने को पा लिया
समझाना वह अपना है |
और जिसे पाकर लगे
किअपने को खो दिया,
समझना वह और भी अपना है !
यात्रा पर निकला हूँ ,
लोग बार-बार
पूछते है,
कितना चलोगे ?
मैं मुस्कुराकर
आगे बढ़ जाता हूँ ,
किससे कहूं की
कहीं तो नहीं जाना |
मुझे इस बार
अपने तक आना है !
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